Wednesday, November 3, 2010

हमें वेद से नफ़रत नहीं है तो आप क्यों कुरआन से नफ़रत करते हैं ?- अनवार अहमद

दयानंद जी ने ‘अग्नि‘ का अर्थ ईश्वर बताया है यहां पर और उनसे बहुत पहले स्थौलाष्ठीवि ऋषि ने भी ‘अग्नि‘ का अर्थ ‘अग्रणी‘ बताया है। हां हरेक जगह ‘अग्नि‘ का एक ही अर्थ नहीं है, कहीं कहीं पावक अग्नि भी अभिप्रेत है। लेकिन ऋग्वेद 1,1,1 में ‘अग्नि‘ का अर्थ ‘अग्रणी परमेश्वर‘ ही है , भौतिक अग्नि नहीं। यहां ‘अग्नि‘ के ईलन का ज़िक्र चल रहा है और कोई भी तत्वदर्शी मनुष्य भौतिक अग्नि को ‘पुरोहित‘ मानकर उसका ‘ईलन‘ नहीं कर सकता। इत्तेफ़ाक़ से मैंने भाई बी. एन. शर्मा जी को जवाब देते हुए इसी मंत्र का अर्थ लिखा था , जो इस प्रकार है-
हे ईश्वर ! तू पूर्व और नूतनए छोटे और बड़े सभी के लिए पूजनीय है। तुझे केवल विद्वान ही समझ सकते हैं।रिग्वेदा, ,,
अब कुरआन की बिल्कुल पहली सूरत की सबसे पहली आयत का अर्थ भी देख लीजिए-
अल्.हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन
अर्थात विशेष प्रशंसा है परमपूज्य के लिए जो पालनहार है सभी लोकों का।
(अलफ़ातिहा, 1)
आपने देखा कि न सिर्फ़ ‘अल्लाह‘ नाम बिल्कुल पहली ही आयत में और बिल्कुल पहले वेदमंत्र में है बल्कि अर्थ भी बहुत समीप है या फिर शायद एक ही है। विषय है ‘अग्नि‘ के ईलन का। यहां वेदविद् हज़ारों साल से अग्नि का अर्थ आग करते आ रहे हैं और कुछ वेदज्ञ यहां ईश्वर अभिप्रेत समझते आए हैं। यहां आप कुरआन की मदद से निश्चित कर सकते हैं कि वास्तव में सही अर्थ क्या है यहां ?
हमें वेद से नफ़रत नहीं है तो आप क्यों कुरआन से नफ़रत करते हैं ?
http://vedquran.blogspot.com/2010/11/vedic-mantras-in-light-of-holy-quran.html
से साभार

18 comments:

Dr. Jameel Ahmad said...

कुरआन एक दिव्य आलोक है। इसका इन्कार करने के बाद आप कभी नहीं जान सकते कि कहां क्या है ?

Dr. Jameel Ahmad said...

आपने देखा कि न सिर्फ़ ‘अल्लाह‘ नाम बिल्कुल पहली ही आयत में और बिल्कुल पहले वेदमंत्र में है बल्कि अर्थ भी बहुत समीप है या फिर शायद एक ही है। विषय है ‘अग्नि‘ के ईलन का। यहां वेदविद् हज़ारों साल से अग्नि का अर्थ आग करते आ रहे हैं और कुछ वेदज्ञ यहां ईश्वर अभिप्रेत समझते आए हैं। यहां आप कुरआन की मदद से निश्चित कर सकते हैं कि वास्तव में सही अर्थ क्या है यहां ?
हमें वेद से नफ़रत नहीं है तो आप क्यों कुरआन से नफ़रत करते हैं ?

Dr. Jameel Ahmad said...

Nice post ....///

HAKEEM YUNUS KHAN said...

अच्छा लेख है .

HAKEEM YUNUS KHAN said...

अनवार अहमद साहब से पूरी तरह सहमत हूँ कि आप कुरआन की मदद से निश्चित कर सकते हैं कि वास्तव में सही अर्थ क्या है यहां ?

HAKEEM YUNUS KHAN said...

Nice idea .

Anonymous said...

किसे नफरत है कुरआन से ... अजी नफरत तो उनलोगों से है जो कुरआन के चक्कर में इंसानियत भूल जाते हैं..
भूल जाते हैं कि पहले धर्म नहीं पहले इंसानियत है...
जिहाद का मतलब नहीं जानते और बन्दूक लेकर जिहाद जिहाद चिल्लाते रहते हैं....

Read this said...

nice & nice post

Read this said...

badhiya hai

Read this said...

likhte rahiye

Ayaz ahmad said...

अच्छा प्रश्न

Anonymous said...

सालों गधों की जुंडली के पास खुद का लिखने को कुछ होता नहीं.एक गधा बकवास लिख देता है और दो चार गधे अलग अलग 15-20 नकली प्रोफाईल बनाकर "सुन्दर पोस्ट","अच्छा प्रश्न" "nice post" टिपने लगते हैं.
सालों को नाक पोंछने की अक्ल नहीं और बने फिरते हैं धर्म विद्वान.

DR. ANWER JAMAL said...

क्रष्ना जी की झुंझलाहट पर बेइख़्तियार हंसी आ गई ।

आपका अख्तर खान अकेला said...

avr bhayi aap jo krte hen kmaal krte hen jo jesa kr rha he krne do kucaa sbka hisaab rkh rha he bhut bhut achcha likh rhe ho bhayi gle lgne ko ji krta he mubark ho.

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...

इस बात को जानकार बहुत ख़ुशी हुई की आपको वेद से नफरत नहीं है. वैसे भी किसी किताब से नफरत करके कोई क्या कर लेगा. और जिसे नफरत करना है शौक से करे, उससे दूसरों की सेहत पर असर नहीं पड़ना चाहिए.
यहाँ शुरुआत इस बात से हुई थी की कुछ भाई लोगों में पोस्ट-दर-पोस्ट लगाकर यह चिल्लाना शुरू कर दिया के हमारा मज़हब और हमारे पैगम्बर के सामने कोई और कुछ नहीं.
अब कुछ आलिम-फ़ाज़िल भाई लोग अरबी-संस्कृत के अच्छे ज्ञाता हैं और उनका अध्ययन बहुत विशद है पर हर मामले में विवेचना करने बाद उनकी सुई उसी जगह पर आकर अटक जाती है की सबसे अच्छा जो कुछ भी हो सकता है वह उनके मजहब में ही है और दूसरे मतों को मानने वाले न केवल गलत राह पर हैं बल्कि उन्हें सही राह दिखाने का ठेका भाईजान को ही दिया गया है.
खैर, इन हालत में यही होगा के इस चक्कर में लोगबाग इतने उकता जायेंगे के उन्हें गाली-गलौज के लिए यहाँ आना भी वक़्त के बर्बादी ही लगेगा.
और किसी भी बाबाजी ने अग्नि का कुछ भी अर्थ बताया हो, आज हम यही जानते है के आग जलाने का काम करती है, ठंडा करने का नहीं. शब्दों के मतलब निकालते रहने में तो पूरी ज़िंदगी तमाम की जा सकती है, इतनी फुर्सत किसे है?

Saleem Khan said...

yaqeenan bebaak aur achchha sawaal ....

lekin koi jawaab dene nahin aayega....!!

PURWAGRHI KAHIN KE LOG NAHI AAYENGE !!!!!!!!!!!!!

Saleem Khan said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !

DR. ANWER JAMAL said...

निशांत जी ! मेरे आने से पहले हिन्दुओं में से कुछ लोगों का आम शगल था कुरान और इस्लाम में ऐब निकालना . उन्हें जवाब देना ज़रूरी था . इस्लाम सम्पूर्ण और सुन्दर है क्योंकि जो सत्य होगा उसका यह विशेष गुण है .
अगर आप कहते हैं कि आपको किसी शब्द का क्या अर्थ है यह जानने की कोई इच्छा ही नहीं है तो आप ख़ुद को जीवन के वास्तविक मक़सद के प्रति उदासीन साबित कर रहे है और हरेक आदमी आपकी तरह ग़ैर ज़िम्मेदार नहीं हो सकता .