
1.जो लोग मालिक का नाम केवल दिखावे के लिए लेते हैं और लालच, झूठ और मक्कारी में ही जीवन गुज़ार देते हैं, ऐसे लोगों को कपटाचारी और मुनाफ़िक़ कहा जाता है। ये लोग पूरी मानव जाति के साझा दुश्मन हैं। इनका ठिकाना नर्क में सबसे नीचे है जहां की आग सबसे तेज़ है।
2.इबादत और पूजा की ज़रूरत मालिक को नहीं है बल्कि बंदों को है। झुकना मानव का स्वभाव है। अगर उसकी यह स्वाभाविक मांग सही तरह से पूरी नहीं हुई और वह सही जगह न झुका तो फिर वह ग़लत जगह झुकेगा। दौलत के आगे झुकेगा, नामवर हस्तियों के आगे झुकेगा और अगर कहीं नहीं झुका तो फिर अपनी इच्छाओं के सामने तो उसे झुकना ही पड़ेगा। फिर वह दूसरों को अपने आगे झुकने के लिए बाध्य करेगा, कहीं धर्मगुरू बनकर और कहीं नेता बनकर। जो मालिक के सामने झुकता है फिर उसका शीश किसी के सामने नहीं झुकता और जो उसके सामने नहीं झुकता वह हज़ार चीज़ों के सामने झुकता फिरता है और मानवीय गरिमा खो बैठता है।
3.मालिक का नाम लेने से इनसान को ध्यान रहता है कि वह अनाथ नहीं है। दुनिया की मुसीबतें आज़माइश हैं और इनसे छुटकारे के लिये उसे कोई भी ग़लत काम नहीं करना है। सही तरीक़े पर चलने में चाहे कितने ही कष्ट हों या फिर मौत ही क्यों न हो तब भी उसे सही रास्ते पर ही चलना है। उसका मालिक उसे दोबारा जीवित करके पुरस्कारस्वरूप अनन्त जीवन देने की ताक़त रखता है। मौत की सरहद के दोनों तरफ़ उसी एक मालिक की सत्ता है।
4.मालिक का नाम उसके आदेशों की याद दिलाता है। मालिक के आदेश मानव को बताते हैं कि ‘वास्तव में उसके लिए अच्छा क्या है ?‘
5.मिसाल के तौर पर एक सिपाही सरहद पर लड़ रहा है। उसके कुछ साथी पीठ दिखाकर भाग आते हैं और सरकारी हथियारों से कुछ अमीर आदमियों को लूटकर फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनाकर ऐसे देश में भाग जाते हैं जहां भारत की प्रत्यर्पण की संधि नहीं है और कुछ समय बाद वे अपने परिवारों को भी वहीं बुला लेते हैं। वे अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में दाखि़ल करते हैं और जीवन का सुख भोगते हैं। समाज में उन्हें आला रूतबा हासिल हो जाता है। वे आला महफ़िलों की शोभा बढ़ाते हैं। जबकि दूसरी तरफ़ कुछ सिपाही मुक़ाबला करना ‘अच्छा‘ मानते हैं और डटकर लड़ते हैं और उनमें से कुछ मारे जाते हैं और कुछ बम की चपेट में आकर हमेशा के लिए अंधे और बहरे हो जाते हैं। उन्हें घर भेज दिया जाता है। थोड़ी बहुत सरकारी सहायता जो उन्हें मिलती है, वह उनके इलाज में ही स्वाहा हो जाती है। उनके बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है। उनकी लड़कियों के अच्छे रिश्ते मात्र उनकी ग़रीबी की वजह से नहीं आते। उन्हें बेमेल लोगों से ब्याह दिया जाता है। उन वतन के रखवालों को न तो किसी स्कूल में बुलाया जाता है और न ही किसी सड़क का उद्घाटन उनसे कराया जाता है। समाज के लोग भी उनके घर में जाकर नहीं झांकते। लोग फ़िल्में देखते हैं, बीयर पीते हैं और ब्लॉगिंग के मज़े लूटते रहते हैं लोगों से सूद लेकर उनका खून चूसते रहते हैं और जब बाढ़ आती है तो किसी होटल में जाकर आराम से पानी घटने का इंतज़ार करते हैं।वतन के जांबाज़ अपमान सहकर जीते हैं और सोचते हैं कि क्या उन्होंने अपना जीवन इन्हीं खुदग़र्ज़ लोगों के लिये कुरबान कर दिया ?
अब आप बताईये कि बुज़दिल सिपाही और बहादुर सिपाही दोनों ने जो अच्छा समझा किया। अब कौन तय करेगा कि वास्तव अच्छा है क्या ?
http://vedquran.blogspot.com/2010/08/submission-to-god-for-salvation-anwer.html?showComment=1282717743723#c7250349526541517862
16 comments:
अच्छी पोस्ट
अनवार साहब आपने अनवर भाई की इस महत्वपूर्ण पोस्ट को अपनी पोस्ट के रूप मे सामने लाकर एक बार फिर ब्लागजगत को सच से रूबरू होने का मौका दिया है इसके लिए धन्यवाद
आपने बहुत अच्छा किया। मैं रमज़ान के बाद इसे पोस्ट बनाता लेकिन आपने आज ही बना दी। महक जी की बात मैं कभी टालता नहीं। आपका बहुत बहुत THANKS .
Nice post and please come to my blog to read a ghazal about eid
http://mankiduniya.blogspot.com/2010/09/ghazal-eid.html
विचलित मन
सही और ग़लत की तमीज़ वही देता है जो जीवन देता है ,
जो लोग मालिक का नाम केवल दिखावे के लिए लेते हैं और लालच, झूठ और मक्कारी में ही जीवन गुज़ार देते हैं, ऐसे लोगों को कपटाचारी और मुनाफ़िक़ कहा जाता है। ये लोग पूरी मानव जाति के साझा दुश्मन हैं। इनका ठिकाना नर्क में सबसे नीचे है जहां की आग सबसे तेज़ है।
बढिया
aapne meri kitab padhi hogi,,,na padhi ho ya kisi ko padhwana chahen to hamare blog par padhaaren
सत्यार्थ प्रकाशः समीक्षा की समीक्षा
http://satishchandgupta.blogspot.com/
Good post!
@अनवर अहमद जी
इसे पोस्ट के रूप में डलवाने का मेरा यही मकसद था की अनवर जमाल जी के इतने अच्छे और ज्ञानमयी विचार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे और वो भी इससे लाम्भान्वित हो लेकिन मैं उनकी व्यस्तता भी समझ सकता हूँ ,आपने इसे पोस्ट बनाकर बहुत अच्छा किया ,आपका शुक्रिया
महक
बहुत ही बेहतरीन बातें कहीं थी डॉ अनवर जमाल ने...... बहुत खूब!
आपका काफी दिनों बाद बात हुई, उस दिन तारकेश्वर गिरी के साथ मिले थे, फिर मिलना ही नहीं हो सका..... कैसे हैं आप?
http://siratalmustaqueem.blogspot.com/
http://vedquran.blogspot.com/2010/09/real-sense-of-worship-anwer-jamal.html?showComment=1284035280363#c440328077117257228
इस्लाम आतंक ? या आदर्श यहाँ पढ़ें
ek behtareen peshkash
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